टमाटर आने वाले समय में लोगों की जेब ढीली कर सकता है। इसकी वजह टमाटर की फसल में कीटों और रोगों का लगना है, जिसने महाराष्ट्र के नासिक जिले में निफाड के किसानों को परेशान कर दिया है। टमाटर में सरपेन्टाइन लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह एक छोटी मक्खी (लिरियोमाइजा ब्रासिका) का लार्वा है, जो टमाटर और अन्य सब्जियों की फसलों को नुकसान पहुंचाता है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि नासिक जिले में निफाड क्षेत्र में टमाटर में कीटों और रोगों की तीव्रता आर्थिक सीमा स्तर (इकनॉमिक थ्रेशहोल्ड लेवल यानी ईटीएल) से ऊपर पहुंच गई है। ईटीएल वह बिंदु है, जिस पर किसी रोग या कीट की आबादी एक निश्चित स्तर पर पहुंच जाती है, जहां आर्थिक नुकसान को रोकने के लिए नियंत्रण उपाय शुरू किए जाने चाहिए। लेकिन, चेतावनी के बावजूद ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

बुवाई में पिछड़ गया महाराष्ट्र

महाराष्ट्र टमाटर बुआई में पिछड़ गया है। नासिक जिले में टमाटर की औसत खेती करीब 21,000 हेक्टेयर में होती है और उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 टन होता है। नासिक के अंतर्गत आने वाले पिंपलगांव से दिल्ली, मध्य प्रदेश, असम और हरियाणा जैसे बाजारों में टमाटर की आपूर्ति होती है। बांग्लादेश व पाकिस्तान को निर्यात भी होता है।  

धान में लीफ फोल्डर की समस्या

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में धान की फसल में लीफ फोल्डर कीट की समस्या भी आर्थिक सीमा स्तर से ऊपर पाई गई है। 11 हेक्टेयर में फसल प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में गन्ने में लाल सड़न देखी गई है। इसे गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है।

आलू और प्याज की बुवाई भी कम क्षेत्र में

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2.89 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 1.55 लाख हेक्टेयर में टमाटर की बुवाई हुई है, जबकि 2023-24 में अखिल भारतीय स्तर पर कुल 2.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई थी।
आलू की बुवाई 0.41 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 0.30 लाख हेक्टेयर में की गई है।
प्याज के मामले में 3.82 लाख हेक्टेयर के लक्षित क्षेत्र में से 2.90 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है।