बिना सैलरी, 12 घंटे सातों दिन काम करने के लिए तैयार ये छात्रा.....जाने क्यों
नई दिल्ली। भारतीय छात्राओं और छात्रों का एक बड़ा वर्ग हर साल विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाता है। कुछ छात्र वहीं सेटल होते हैं, वहीं कुछ समय के बाद भारत वापस लौट आते हैं। हाल ही में एक भारतीय छात्रा का पोस्ट खूब वायरल हुआ है, इसमें छात्र ने अपनी नौकरी की तलाश को लेकर मुफ्त में काम करने का प्रस्ताव दिया है। यह छात्रा फिलहाल यूनाइटेड किंगडम (यूके) में रहती है और वहां डिजाइन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट है। छात्र ने ग्रेजुएट वीजा प्राप्त किया था, जो अगले तीन महीनों में समाप्त होगा। इसके बाद उसके पास कोई वैध वीजा नहीं रहेगा, इसकारण छात्र को भारत लौटना पड़ेगा। इस स्थिति से डरकर छात्रा ने अपनी नौकरी की तलाश जारी रखी है, लेकिन छात्रा को अब तक कहीं से भी नौकरी का प्रस्ताव नहीं मिला। यह छात्रा अब तक 300 से अधिक जॉब्स के लिए आवेदन कर चुकी है, लेकिन कहीं से भी ऑफर नहीं आया। इस निराशा में छात्रा ने पोस्ट के द्वारा से सभी कंपनियों को प्रस्ताव दिया है कि वह 12 घंटे प्रतिदिन और 7 दिन काम करने के लिए तैयार है, मुफ्त में। इसके बदले वह कोई सैलरी नहीं लेगी। छात्रा का कहना है कि यदि कंपनी को एक महीने में उसका काम पसंद आता है, तब सैलरी देने की सोच सकती है। यदि काम अच्छा न लगे, तब वह बिना किसी सवाल के बाहर चली जाएगी। इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स उसकी स्थिति को समझते हुए छात्रा के प्रति सहानुभूति दे रहे हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि इस तरह के प्रस्ताव से विदेशों में भारतीयों के बारे में गलत धारणा बन सकती है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस छात्रा की स्थिति को लेकर टिप्पणी की कि वह शायद कर्ज चुकाने के लिए मजबूर है, या दूसरे विकल्प न मिलने पर ही वह ऐसा कदम उठा रही है। वहीं रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा ने 2021 में भारत से यूके का रुख किया था। पहले उसके लिए स्थिति बेहतर थी, लेकिन अब वह कानूनी और आर्थिक दवाब में है। यह मामला न केवल उसके व्यक्तिगत संघर्ष को दिखाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विदेशों में भारतीय छात्रों को नौकरी की तलाश में कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब उनकी डिग्री और टैलेंट फिर भी उन्हें उपयुक्त नौकरी दिलाने में विफल रहते हैं। कई यूजर्स का मानना है कि इस तरह के मुफ्त काम करने के प्रस्ताव से भविष्य में अन्य छात्रों के लिए विदेश में नौकरी पाना और भी मुश्किल कर सकता है, क्योंकि इससे भारतीयों की सस्ती मजदूरी का गलत संदेश जाएगा।