आजादी से पहले व्यासपीठ से उठा ज्ञानवापी का मुद्दा
वाराणसी : देश-दुनिया में चर्चा का केंद्र बिंदु बना ज्ञानवापी मामला परतंत्र भारत में व्यासपीठ से उठा था। उस समय यह मालिकाना हक का मामला हुआ करता था। इसमें व्यास परिवार को सफलता भी मिली, लेकिन आजादी के बाद 15 अक्टूबर 1991 में पं. सोमनाथ व्यास ने ज्ञानवापी परिसर में नए मंदिर के निर्माण और पूजा-पाठ को लेकर याचिका दाखिल की। सात मार्च 2000 को उनके निधन के बाद इसे वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आगे बढ़ाया। उनके प्रार्थना पत्र पर बीते वर्ष आठ अप्रैल को सिविल जज सीनियर डिविजन आशुतोष तिवारी की अदालत ने पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। हालांकि आदेश के क्रियान्वयन पर अभी हाईकोर्ट की ओर से रोक है।