वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। पिछले एक महीने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर सहित कई पड़ोसी राज्य प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। गुरुवार (7 नवंबर) को सुबह 9 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 367 रहा, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी वाला माना जा रहा है। एक निष्कर्ष में कहा है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं, पराली जलाने, सड़क की धूल या पटाखों के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है। सभी लोगों को प्रदूषण से बचाव को लेकर निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
अध्ययनों में वायु प्रदूषण को सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना गया है। श्वसन समस्याओं के साथ वायु प्रदूषण के कारण बढ़ती देखी जा रही हैं। कुछ शोध बताते हैं कि प्रदूषित वातावरण में लंबे समय तक रहने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है। आइए इस बारे में जानते हैं|

धूम्रपान और प्रदूषण दोनों से लंग्स कैंसर का खतरा
रिपोर्ट में कहा कि हम जानते हैं कि फेफड़ों के कैंसर के लिए धूम्रपान सबसे बड़ा जोखिम कारक है। अब इस बात के भी पुख्ता सबूत हैं कि बाहरी वायु प्रदूषण भी फेफड़े के कैंसर के जोखिम को बढ़ा रही है।
वायु प्रदूषण के संपर्क में जितना ज्यादा रहेंगे, फेफड़े के कैंसर का जोखिम उतना ही अधिक होगा। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि सिर्फ बाहरी ही नहीं इनडोर प्रदूषण के कारण भी लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। घर के अंदर की हवा में मौजूद रेडॉन गैस को इसके लिए जिम्मेदार पाया गया है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एक रिपोर्ट में बताया, वायु प्रदूषण में कई प्रकार के सूक्ष्म और हानिकारक कणों का मिश्रण होता है, जो शरीर में पहुंचकर कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है। उदाहरण के लिए, फेफड़ों में छोटे कण जमा होकर कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचाते देखे गए हैं। इससे कोशिकाओं के विभाजन का तरीका बदल जाता है, जिससे कैंसर हो सकता है। 
यूरोप में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 9% मौतों के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार माना गया है। भारत में, धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में हाल में वृद्धि देखी गई है। इनमें से ज्यादातर लोगों का प्रदूषित वातावरण से संपर्क अधिक देखा गया।

इन कैंसर का भी बढ़ जाता है जोखिम
वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़े ही नहीं कई अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। वायु प्रदूषण के मुख्य कारक पार्टिकुलेट मैटर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से वयस्कों और बच्चों में ल्यूकेमिया होने का खतरा बढ़ता देखा गया है। ये रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर है।इसके अलावा कुछ शोध ये भी बताते हैं कि प्रदूषण के कारण एसोफेगल कैंसर का भी खतरा हो सकता है। ये गले से पेट तक जाने वाली नली (ग्रासनली) का कैंसर है।

प्रदूषण से करें बचाव
अध्ययनकर्ता कहते हैं, वायु प्रदूषण संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज 2024 के अनुसार साल दर साल बढ़ता वायु प्रदूषण श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर, मधुमेह, तंत्रिका संबंधी विकार, गर्भावस्था की दिक्कतों को तो बढ़ा ही रहा है साथ ही इससे वैश्विक स्तर पर मृत्यु के मामलों में भी उछाल आया है।
सभी लोगों के लिए जरूरी है कि आप प्रदूषण से बचाव करें और बाहर जाते समय मास्क जरूर पहनें।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।