दूसरे किनारे की यात्रा का बड़े जन समूह के बीच भव्य लोकार्पण

भोपाल। मनुष्य, समाज, जीवन, प्रकृति और ब्राह्माण्ड की अभिव्यक्ति के प्रकार पंकज पाठक की कविताओं में दिखाई देते हैं। उन्होंने अपने पहले कविता संग्रह--दूसरे किनारे की यात्रा--में इन्हीं प्रकारों को बड़ी कसीदाकारी से बिंब और प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनका शिल्प, शैली और स्थापत्य अद्भुत है। अरसे बाद ऐसी काव्य-विशिष्टता और जीवन तथा फैंटेसी के विविध रूप किसी कविता में दिखाई दिये हैं। 
    ये विचार विभिन्न विभूतियों ने कल रात पत्रकार-कवि पंकज पाठक के कविता संग्रह के लोकापर्ण के अवसर पर व्यक्त किए। इसका आयोजन हम विक्रम संस्था ने दुष्यंत कुमार संग्रहालय में किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक ने की। मुख्य अतिथि थे पूर्व अपर मुख्य सचिव और लेखक मनोज श्रीवास्तव तथा मुख्य वक्ता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश। विशेष अतिथि महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी और गुजराज विश्वविद्यालय अहमदाबाद की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष श्रीमती रंजना अरगढ़े। 


    सभी वक्ताओं का कहना यह था कि नई कविता में प्राय: एक प्रवाह-सा दिखाई देना चाहिए, जो पंकज पाठक की कविताओं में दिखाई दिया। उन्होंने अपनी मौलिकता भी दिखाई और सस्ती लोकप्रियता की वैचारिकता को अपने से कोसों दूर रखा। यही कारण है कि उनकी कविताएं पठनीय बन पड़ी हैं। दीपक जी ने कहा कि लोकार्पण की पुस्तकें पन्नी की बजाय कपड़ों में लपेटकर दी जानी चाहिए, ताकि कपड़े को नष्ट न किया जा सके। इसी प्रकार स्वागत की मालाओं को भी पहनकर तत्काल उतारकर नहीं रखना चाहिए। सम्मान की प्रतीक माला कार्यक्रम की दौरान गले में रहना चाहिए। 
    प्रारंभ में पंकज पाठक ने अपनी काव्य यात्रा के बारे में बताया तथा अपनी दो बड़ी कविताओं का पाठ भी किया। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन के पश्चात मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद अतिथियों को पुष्पहार पहनाए गए एवं स्मृति चिन्ह के रूप में पुस्तकें प्रदान की गईं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, शासकीय अधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। लोग इतनी बड़ी संख्या में आए कि सभागृह में अतिरिक्त कुर्सियों की व्यवस्था करानी पड़ी। आभार डॉ. जवाहर कर्नावट ने माना और संचालन किया डॉ. संतोष व्यास ने।