नई दिल्ली । ओला इलेक्ट्रिक कंपनी के बिक्री को लेकर जारी किए गए आंकड़ों पर विवादों में घिरी हुई है। फरवरी 2025 में जारी हुए आंकड़े को लेकर पांच हफ्ते बीतने के बाद भी कंपनी को सफाई देनी पड़ रही है। वजह है कंपनी द्वारा बताए गए 25,000 यूनिट्स की बिक्री और व्हीकल रजिस्ट्रेशन के आधिकारिक आंकड़ों के बीच भारी अंतर।
 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को दिए जवाब में ओला ने ऐसे वाहनों को भी शामिल कर लिया, जो बाजार में लॉन्च ही नहीं हुए थे। 9 अप्रैल को ओला इलेक्ट्रिक ने एक्सचेंजों को एक बयान जारी कर बताया कि फरवरी की बिक्री की जानकारी उन कन्फर्म ऑर्डरों पर आधारित थी, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत ऑर्डर प्लेसमेंट के समय पूरी तरह भुगतान किए जा चुके थे। कंपनी के मुताबिक इन ऑर्डरों में जेन 3 और रोडस्टेर एक्स जैसे नए प्रोडक्ट भी शामिल थे, जो फरवरी में फुल पेमेंट के साथ खरीदे जा सकते थे। हालांकि, सच्चाई यह है कि ओला इलेक्ट्रिक ने फरवरी में वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बाहरी एजेंसियों से हटाकर इन-हाउस कर दी थी, जिससे देशभर के आरटीओ के साथ उनके संबंधों में बाधा आई और रजिस्ट्रेशन डेटा प्रभावित हुआ।
 सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि फरवरी में ओला की सिर्फ 8,649 यूनिट्स ही रजिस्टर्ड हुईं, जो कंपनी के दावे की एक तिहाई है। 1 मार्च को सामने आए इन आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए कि जब वाहन रजिस्ट्रेशन के बिना उन्हें बेचा नहीं जा सकता, तो फिर ओला के 25,000 यूनिट्स की बिक्री का दावा कैसे सही हो सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, वाहन की डिलीवरी से पहले उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। अब ओला इलेक्ट्रिक पर आरोप है कि उसने निवेशकों और आम जनता को गुमराह करने के लिए बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।